“लॉकडाऊन और शरीर में एक दूसरे से दूर रहने के बाद भी, हम प्रार्थना करने के लिए मिलते हैं। विभिन्न देशों में होते हुए भी, हम इस तरह एक साथ आकर प्रार्थना करते हैं। हम प्रार्थना में एक किए गए हैं, हमारा भरोसा है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को सुनेगा और हस्तक्षेप करेगा।” डीकन्स कमीशन की सदस्या हन्ना सोरेन ने, मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस की प्रथम ऑनलाइन प्रार्थना सभा के समापन पर यही प्रार्थना की।
बोलिविया से इण्डोनेशिया तक, लगभग 50 उपकरणों के माध्यम से, जिनमें से किसी किसी स्क्रीन पर दो दो प्रतिभागी भी दिखाई दे रहे थे, डीकन्स कमीशन के द्वारा प्रायोजित एमडब्ल्यूसी की ऑनलाइन प्रार्थना के लिए हमारे भाई बहनों ने लॉगऑन किया।
प्रतिभागियों को अंग्रेजी, स्पेनिश, और फ्रेंच भाषा के छोटे छोटे समूहों में जूम ऑनलाइन के ब्रेकअप रूम्स के माध्यम से विभाजित किया गया।
पहले से तैयार प्रार्थना सूची में से, हमने सरकार और कलीसिया के अगुवों के लिए प्रार्थना किया कि वे निर्णय लेते समय दूसरे पक्षों के लोगों से भी राय लें और उनके साथ एकजुट हो कर कार्य करें। हमने स्वास्थ्य और आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी प्रार्थना किया। हमने अर्थव्यवस्था के लिए भी प्रार्थना किया क्योंकि अर्थव्यवस्था में गिरावट से सबसे निर्धन वर्ग ही अधिक प्रभावित होता है।
अपने अपने समूहों में प्रतिभागियों ने इन प्रार्थना निवेदनों को सामने रखाः पश्चिम बंगाल में चक्रवात के कारण विस्थापित हुए हजारों लोगों के लिए प्रार्थना; ब्राजील में संक्रमितों की बढ़ती हुई संख्या के लिए, और ऐसे लोगों के लिए जिन्हें सताया जा रहा है या जिनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और इस विषय के लिए भी कि इस प्रकार की परिस्थितियाँ लॉकडाऊन में किस तरह से भयानक रूप ले सकती हैं।
प्रार्थना में परमेश्वर का धन्यवाद किया गयाः परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता जताई गई क्योंकि उसने इस कठिन समय में हानि से हमें सुरक्षित रखा।
अन्य लोगों ने प्रार्थना किया कि वे ऐसे समय में भी आशा के चिन्हों को पहचान सकें, और लोग परमेश्वर की बुलाहट को सुनकर फिर से उसकी ओर लौट सकें।
“एक साथ मिलकर प्रार्थना करना इस सत्य की एक अद्भुत अनुभूति देता है कि हम विश्व मेनोनाइट परिवार का एक हिस्सा हैं।” यह बात हेंस गेरहार्ड पीटर्स, एमडब्लूसी जनरल काँसिल सदस्य, अलॉयंस इव्हाजलिका मेनोनानिटा, ब्राजील ने कही।
जर्मनी के एक मेनोनाइट चर्च के सदस्य बेन्जामीन इसाक क्राउब के अनुसार, “जूम एप के माध्यम से प्रार्थना करना अनूठा, बहुभाषीय, और नया था – ठीक प्रथम पिन्तेकुस्त के समान, यह परमेश्वर के सब लोगों की उस सहभागिता की एक पूर्वझलक थी जिसकी हम बाट जोह रहे हैं।”
भारत के एक मेनोनाइट चर्च की सदस्या एलिज़ाबेथ कुंजाम का मानना है, “यद्यपि हम अपने मसीही विश्वास को हम अपने अपने स्थानीय समुदायों में जीते हैं, परन्तु जब हम एक वैश्विक कलीसिया के रूप में एकत्रित होते हैं तभी हम परमेश्वर के अनुग्रह के विस्तार को समझ पाते हैं।” “मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ कि जब हम प्रार्थना करने के लिए साथ आते हैं, परमेश्वर सुनता और उत्तर देता है,” यह बात बुरकीना फासो की सियाका त्रोआरे ने कहा जो डीकन्स कमीशन की अध्यक्षा भी हैं।
—मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस विज्ञप्ति