“उसकी इच्छा को जानने के लिए मुझे प्रतीक्षा करना है!”

शान्त और एस्तर कुंजामः फोटोः साभार

Renewal 2027 testimony: Anabaptists today

Renewal 2027 is a 10-year series of events organized by Mennonite World Conference’s Faith and Life Commission to commemorate the 500th anniversary of the beginnings of the Anabaptist movement. This series highlights leaders in the movement from history to the present.


“परमेश्वर ने मुझे सिखाया है कि जब एक बार मैंने अपना जीवन उसे समर्पित कर दिया है, तो उसकी इच्छा को जानने के लिए मुझे प्रतीक्षा करना है।” यह शब्द एस्तर एस. कुंजाम के हैं।

सत्तर वर्ष पार चुकी, यह भारतीय मेनोनाइट नेत्री यह चिंतन करती हैं कि उन्होंने अपने जीवन भर किस प्रकार से यीशु मसीह का अनुसरण किया है।

उनका पालन पोषण एक मसीही मिशन अनाथालय में हुआ और वे अपने माता पिता के विषय में नहीं जानती, वे बताती हैं, “मेरी देखभाल अच्छी तरह से की गई और मुझे पर्याप्त प्यार मिला।” पहले वे एक नर्स बनना चाहती थीं, परन्तु एक भंयकर रेल दुर्घटना को देखने के बाद उन्होंने अपना मन बदल दिया और एक शिक्षिका बन गईं।

यूनियन बिब्लिकल सेमनरी, पूणे, भारत में अपने प्रथम वर्ष के अध्ययन के दौरान, सत्र के मध्य अवकाश के समय, वे एक आत्मिक जाग्रित सभा में शामिल हुईं। उन्होंने बताया, “सभा के दौरान अक्सर मुझे नींद आ जाती थी और मैं प्रचार नहीं सुन पाती थी, परन्तु जब गीत और भजन गाए जाते थे तो मैं बड़ी बेचैन हो उठती और यह महसूस करती थी कि परमेश्वर का आत्मा मुझ से बातें कर रहा है। जब तक मैंने अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित नहीं कर दिया, तब तक यह गीत मेरे कानों में गूंजता रहा, ‘इज़ ऑल ऑन द आल्टर ऑफ सेक्रिफाइस लेड? योर हार्ट डज़ द स्पिरिट कन्ट्रोल?’ (क्या तुम ने बलिदान की वेदी पर सब कुछ अर्पण कर दिया है? क्या तुम्हारे ह्रदय का नियंत्रण पवित्र आत्मा के हाथों में है?)

 “परमेश्वर मेरे प्रति पूरी तरह से विश्वासयोग्य रहा और उसने मेरी सहायता की कि मैं सांसारिक आकर्षणों और परीक्षाओं से बाहर निकल सकूं।”

सेमनरी में दो वर्षीय सर्टिफेकेट पाठ्यक्रम पूर्ण करने के पश्चात, उन्होंने अपने लिए एक जीवनसाथी की तलाश आरम्भ किया, परन्तु हर बार “महसूस किया कि परमेश्वर उन्हें यह बता रहा है कि इस पुरुष को उसने नहीं चुना है।”

मेनोनाइट चर्च में आपसी झगड़ों के विषय में उन्होंने काफी कुछ सुना था, जिसके कारण, वे किसी मेनोनाइट से विवाह नहीं करना चाहती थी, तौभी, मेनोनाइट युवक युवती रिट्रीट के दौरान गीतों में अगुवाई करते समय परमेश्वर ने उन्हें बताया कि तुम्हारा जीवनसाथी यह पुरुष होगा, और मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।”

वे कहती हैं, “अपने भावी पति को देखे बिना ही और उनकी सहमति जाने बिना ही मैंने उस मसीही स्कूल से, जहाँ मैं कार्यरत थी, शिक्षिका के पद से त्यागपत्र दे दिया और परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए सगाई की अंगूठी और भेंट में दी जाने वाली वस्तुएं खरीद लीं। 40 दिनों के भीतर ही हमारा विवाह हो गया।”

आज, “यद्यपि शारीरिक रूप से मेरी शक्ति कम होती जा रही है, परमेश्वर का अनुग्रह मेरे लिए पर्याप्त है।” एस्तर और उनके पति शान्त, जो मेनोनाइट चर्च इन इण्डिया के बिशप हैं, वर्तमान में जिस स्थान पर निवास कर रहे हैं, उस स्थान पर मसीहियों की संख्या काफी कम है। अक्सर उन्हें अपने विश्वास की गवाही देने का अवसर मिलता है, जब पड़ोसी उनके विश्वास के विषय में उनसे जानना चाहते हैं। “जब वे अपनी धार्मिक रीति विधियों और संस्कारों के बारे में बताते हैं, तो मैं न ही उत्तेजित होती हूँ और न मौन रहती हूँ, परन्तु उनकी बातें सुनती हूँ। क्रिसमस के समय, हम अपने पड़ोसियों के घरों को जा कर उन्हें पकवान और मिठाइयाँ बाँटते हैं और बड़े दिन की शुभकामनाएं देते हैं।” वे बताती हैं कि यह यीशु मसीह का अनुसरण करने से मिलने वाली आशा को अपने पड़ोसियों के साथ बाँटने का आरम्भ ही है।

एस्तेर और शान्त की चार बेटियाँ और दामाद हैं जो प्रभु यीशु से प्रेम रखते हैं और कलीसिया की गतिविधियों में भाग लेते हैं, उनके सात नाती-नातिन भी हैं।

“अपना जीवन प्रभु के हाथों सौंप दें और वह आपको मार्ग दिखाएगा। परमेश्वर उन्हें हमेशा अच्छी वस्तुएं देता है जो विश्वासयोग्यता से उसकी सेवा करते हैं।”

भारत के अनेक मेनोनाइट काँफ्रेंस मिलकर संयुक्त रूप से महिलाओं का एक वार्षिक काँफ्रेंस आयोजित करते हैं। इस वर्ष, दक्षिण भारत में आयोजित इस कार्यक्रम में, एमडब्ल्यूसी जनरल सेक्रेटरी की कार्यपालन सहायक सांद्रा बाएज ने मुख्य वक्ता के रूप में सेवकाई दी और कुल 300 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। एस्तेर कुंजाम ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।