पिछली बार जीवायएस 2015 में मुलाकात के बाद काफी वर्ष बीत चुके हैं। निश्चय ही यह एक अलग ही अनुभव था जिसने संसार को देखने के मेरे नजरिये को पूरी तरह से बदल दिया।
जीवायएस हमें अवसर प्रदान करता है कि हम वास्तव में अपनी आँखों को खोल कर इस सच्चाई को देख सकें कि नक्शे में दिखाई देने वाले सारे देशों में हमारे विश्वासी भाई बहन एक विविध सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक परिस्थितियों में निवास करते हैं। ये परिस्थितियाँ प्रत्येक क्षेत्र की उनकी अपनी चुनौतियों की पृष्ठभूमि हैं जिनका उत्तर प्रभु खास तरीकों से दे रहा है।
जीवायएस ने मेरे सामने यह चुनौती प्रस्तुत किया कि अपने देश के एक अगुवे के रूप में मैं व्यापक तौर पर इस बात को लोगों के सामने रख सकूं कि वास्तव में एक ऐनाबैपटिस्ट युवा होने का अर्थ क्या होता है, और अपने आसपास के जरुरतमंद लोगों की आवश्यकताओं को पहचान कर किस प्रकार से अपने समुदाय में यीशु के हाथ और पाँवों की भूमिका निभाना है। जीवायएस हमारे सामने यह चुनौती रखता है कि हम ऐसे कार्यक्रम संचालित करने के माध्यम से परिवर्तन का हिस्सा बने जो वास्तव में एक समाधान प्रदान करता हो।
संसार भर के हमारे भाई बहनों की पुकार की गम्भीरता के कारण मेरे प्रार्थनामय जीवन पर भी असर हुआ। पहले से भी अधिक सरगर्मी से, हम अपनी स्थानीय कलीसियाओं में अवसर उत्पन्न करते हैं कि हम अपने देशों के लिए प्रार्थना कर सकें। परमेश्वर ने मेरे ह्रदय में अपने उन लोगों के लिए बोझ प्रदान किया है जिन की अब तक सुधि नहीं ली गई और अब तक सुसमाचार को भी सुन नहीं कर सकें हैं।
वर्तमान में, मैं अपनी स्थानीय कलीसिया में युवाओं और किशारों के एक अगुवे के रूप में सक्रिय सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ। मैं अपने देश के मूलनिवासियों तक सुसमाचार प्रचार करने की सेवा में भी लगा हुआ हूँ, और मेरी इच्छा है कि मैं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिशन के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे सकूं।
जीवायएस एक ऐसे सेतु का कार्य कर रहा है जो मुझे ऐसे लोगों से जोड़ता है जिनका जीवन मेरे लिए बड़ी आशीष का कारण बना है। जीवायएस ने मुझे ऐसी परियोजनाओं और ऐसे अनुभवों से भी जोड़ा है जिनके माध्यम से मेरे जीवन और मेरे विश्वास के समुदाय का स्तर ऊँचा हुआ है।
मैंने जीवायएस प्रतिनिधि के रूप में जो कुछ सीखा उसके लिए मैं आभारी हूँ, मैं कलीसियाओं को प्रेरित करना चाहता हूँ कि युवाओं को यंग ऐनाबैपटिस्ट (याब्स) की गतिविधियों में भाग लेने के लिए उत्साहित करें और उनका सहयोग करें। ये गतिविधियाँ हमारे जीवन में एक बड़ा असर डाल सकती हैं, और हमें हमारे विश्वव्यापी परिवार में पाई जाने वाली आशीषों और विविधता से जोड़ सकती हैं।
इस तरीके से, हम एक दूसरे के पूरक बनते हैं और मसीह की देह का रूप लेते हैं। जैसा कि पौलुस ने 1 कुरिन्थियों 12ः12 में लिखा हैः “क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस देह के सब अंग बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।”
मैं युवाओं को भी एक विशेष संदेश देना चाहता हूँः निराश हो कर हियाव कभी ने छो़ड़ें।
आइये हम इस विश्वव्यापी महामारी के मध्य, जिसमें से होकर गुजरने के लिए हम मजबूर हैं, एकता और मजबूती को कायम रखें।
आइये अपने समुदाय के साथ मिलकर कार्य करें ताकि वर्तमान में “कलीसिया बने रहने” की चुनौती का सामना कर सकें, और साथ ही नए सिरे से यह विचार कर सकें कि हमें भविष्य में इस क्षेत्र में किस प्रकार से आगे बढ़ना है।
यंग ऐनाबैपटिस्ट (याब्स) कमेटी ऐनाबैपटिस्ट युवाओं (18-30 वर्ष) को बाइबल पर चर्चा, आराधना, प्रार्थना और गवाहियों – और छह वर्ष में एक बार ग्लोबल युथ समिट (जीवायएस) के माध्यम से जोड़ती है।
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पाँचवाँ वार्षिक याब्स संगति सप्ताह 14 से 21 जून 2020 तक आयोजित किया गया है। इस सप्ताह के दौरान, संसारभर के युवा और किशोर एक दूसरे के साथ मिलकर युवा ऐनाबैपटिस्ट समुदाय के रूप में संगति का आनन्द उठाते हैं। हम एक दूसरे के साथ प्रार्थना निवेदन, धन्यवाद के विषय साझा करने के द्वारा, और पवित्रशास्त्र पर आधारित इस मूलविषयः “उद्देश्यः परमेश्वर का और हमारा” (2 तीमुथियुस 1ः 6-14) पर चर्चा करते हुए इस उत्सव को मनाएंगे।
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—कारीना बोगारिन एगलेसिया मारानाटा डेस लोस हेरमानोस मेनोनिटास की एक सदस्या हैं। वे ग्लोबल यूथ समिट, 2015 पेन्नसिलवेनिया में कोनवेनसिओन इव्हाजलिका डे इग्लेसियास पैरागुआयास हेरमानोस मेनोनिटास की प्रतिनिधि थी। फोटोः कारीना बोगारिन