ऐसा अक्सर नहीं होता, परन्तु जब मैं देख रहा हूँ कि इस समय अमरीका के शहर जल रहे हैं, और अनेक सप्ताहों से कानून और व्यवस्था के नाम पर अश्वेत देहों की बलि चढ़ाई जा रही है, मेरे पास शब्द कम पड़ चुके हैं। इस समय मैं दो हिस्सों में बँट चुका हूँ, एक ओर मैं रोष से भरा हुआ एक अश्वेत हूँ और दूसरी ओर श्वेतों के दबदबे वाली एक संस्था का अगुवा, यह एक ऐसी संस्था है जिसके सदस्य धर्मविज्ञान, और बहुत से सदस्य, समान पूर्वजों के कारण जुड़े हुए हैं।
जार्ज फ्लायड, ब्रेओन्ना टेलर, और अहमौद आरबेरी पिछले कुछ समय से सुनाई दे रहे ऐसे नाम हैं जिन्होंने मेरे ह्रदय के टुकड़े टुकड़े कर दिया है। मैं भयभीत हो कर देखता रह गया जब एमी कूपर नामक एक महिला ने, जो अपने कुत्ते को खुला छोड़ कर घुमा रही थी, क्रिश्चन कूपर (दोनों के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है) के खिलाफ पुलिस को हथियार उठाने के लिए उकसाने का प्रयास किया, जब क्रिश्चन कूपर न्यूयार्क के सेन्ट्रल पार्क में शान्तिपूर्वक बैठकर पक्षियों को देख रहा था। क्रिश्चन कूपर, मेरे ही समान एक अफ्रीकी मूल का अमरीकी पुरुष है। श्वेत महिला एमी द्वारा पुलिस को लगाए गए फोन में क्रिश्चन के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया जो किसी भी अश्वेत – चाहे वह मैं, या मेरा बेटा हो – पर पूरी तरह से लागू हो सकती है, जिसमें वह फोन उठाने वाले पुलिस अधिकारी को एक प्रकार से अधिकृत कर रही थी कि वह न्याय को अनदेखा करते हुए इस व्यक्ति को मार डाले।
नस्लभेदी सत्ता तंत्र मेरे जैसे अगुवों से तो यही चाहेगा कि मैं अपने अश्वेतपन और पीड़ा को एक किनारे कर दूं; किन्तु, यह मेरी पहचान का हिस्सा है।
एक अगुवा के रूप में, मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि मैं अपने भय और अपनी उदासी को दबा दूं। मैं मेनोनाइट चर्च, यूएसए के लोगों का, और संसार भर के ऐनाबैपटिस्ट परिवार का आव्हान करना चाहता हूँ कि नस्ल के आधार पर किए जा रहे अन्याय के विरुद्ध स्थानीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाएं।
हमें ऐसी संस्कृति को ठुकराना होगा जो अश्वेत चमड़ी को दुष्ट और खतरनाक समझती है। हमें ऐसी संस्कृति को ठुकराना होगा जिसके कारण कुछ लोग अपनी त्वचा को गोरी बनाना चाहते हैं क्योंकि इसे ही एक तरह से बेहतर माना जाता है।
संसार भर में बढ़ते अन्याय के विरुद्ध हमारी ऐनाबैपटिस्ट कलीसियाओं को आवाज उठाना आवश्यक है। उत्तर अमरीका और यूरोप से मिश्नरी परमेश्वर को सफेद कपड़े में लपेट कर आए थे। परन्तु ऐनाबैपटिस्ट लोगों के रूप में, हमें इस बात पर जोर देना आवश्यक है कि हम सब परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए हैं। पवित्र आत्मा हम सब को जोड़े रखता है और हमें विविधता की उस तूलिका को संजो कर रखना है जिसका उपयोग परमेश्वर मानवजाति को रंगों से सजाने के लिए करता है।
विचारों और प्रार्थनाओं के साथ साथ, हमें कदम उठाना भी आवश्यक है। मेल कराने वालों की विश्वव्यापी देह के रूप में हमें एक होने की आवश्यकता है। मैंने अमरीका की कलीसियाओं के सामने निम्नलिखित विषयों पर चिन्तन करने की चुनौती रखा हैः
- आप अपने समुदाय में या अपने राष्ट्र में परमेश्वर द्वारा किए जा रहे शान्ति स्थापना के कार्य में किस तरह से शामिल होंगे?
- क्या आपके समुदायों में ऐसे लोग या ऐसी संस्थाएं हैं जो यह प्रगट करते हैं कि शान्ति कैसी दिखाई देती है?
- आप जो कार्य कर रहे हैं उसमें आपने परमेश्वर की शान्ति को कहाँ पाया है?
- ऐसे कौन कौन से कार्य हैं जिन्हें आप एक वाहक के रूप में सक्रिय हो कर परिवर्तनकारी शान्ति स्थापना के लिए कर सकते हैं?
संसार भर से लोगों ने मुझ से सम्पर्क किया है और यह पूछा है कि वे किस प्रकार से मेरी सहायता कर सकते हैं। आइये हम न्याय के लिए खड़े हो जाएं। एक साथ मिलकर हम एक अन्तर पैदा कर सकते हैं। हमें शान्ति स्थापना के लिए अधिक कीमत चुकाने की आवश्कता है, जो मसीही शिष्यता की मूल शिक्षा पर आधारित है, जो शोषण के तंत्र को, जहाँ कहीं यह दिखाई दे, ध्वस्त करने का प्रयास करती है। इस समय अमरीका में जो हिंसा और अशान्ति व्याप्त है यह कोई संयोग नहीं है; इसी तरह से तंत्र को रूप दे दिया गया है, और यह हम सब को जोखिम में डालता है।
—ग्लेन गायटन के द्वारा जारी मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस विज्ञप्ति। वे मेनोनाइट चर्च यूएसए के कार्यपालन निदेशक हैं।
Prayer
At the burning bush, Moses learned that God is attentive to circumstances of the oppressed: “I have observed the misery of my people…. I have heard their cry on account of their taskmasters…. I know their sufferings, and I have come down to deliver them.” (Exodus 3:7-8a, NRSV)
God of the Exodus is paying attention to world events today. In response to yet another police killing of an unarmed black man in the USA, protests have broken out in North American cities and elsewhere in the world. Looting and vandalism have occurred. Police in the USA have fired rubber bullets and tear gas even upon journalists reporting about the protests.
We lament systemic racism that leads to killings and daily indignities for people of colour. We grieve the violent actions by both protesters and law enforcement. We confess the lack of equity and justice that at times from characterizes our own responses. We acknowledge the long, intercontinental roots of racism that include complicity in the slave trade.
We reaffirm the following Mennonite World Conference Shared Convictions: “As a world-wide community of faith and life we transcend boundaries of nationality, race, class, gender and language… The Spirit of Jesus empowers us to trust God in all areas of life so we become peacemakers who renounce violence, love our enemies [and] seek justice…”
Creator God, reach into our hearts and our troubled world to bring repentance and right relationships!