हिंसा को अस्वीकार करने वाले दो पत्र

विज्ञप्ति जारी करने की तारीखः गुरुवार, 19 दिसम्बर 2019

“हिंसा का त्याग करें और अपने शत्रुओं से प्रेम रखें।” यह मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेस के साझा विश्वास के अनुसार यह एक मेल करवाने वाला बनने का हिस्सा है।

इस विश्वास को अपने जीवन में साकार करते हुए, 13 सितम्बर 2019, को यूएसए के 13 ऐनाबैपटिस्ट काँफ्रेंसों ने राष्ट्रीय सैन्य आयोग, राष्ट्रीय और सार्वजनिक सेवा को एक हस्ताक्षरयुक्त पत्र भेजा। इस पत्र में यह निवेदन किया गया कि पुरुष और महिलाएं व्यापक तौर पर सैन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं होंगे, और विवेक की आवाज सुन कर सेना में सेवाएं देने से इंकार करने का अधिकार बना रहे, साथ ही स्कूलों में सेना के प्रभाव और निम्न आय वर्ग तथा अश्वेत समुदाय के लोगों को नियम को ताक में रख कर जबर्दस्ती सेना में भर्ती किये जाने की प्रक्रिया के विरुद्व भी सचेत किया गया।

मत्ती 5 में यीशु के उपदेश को उद्धरित करते हुए, पत्र में लिखा गयाः“विवेक की आवाज सुन कर सेना में सेवाएं देने से इंकार करने वालों के रूप में, हम ऐसा मानते हैं कि यीशु ने प्रत्येक मानव के जीवन का सम्मान करने का आदेश दिया है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के स्वरूप में रचा गया है . . .। युद्ध का हमारा विरोध हमारी कायरता नहीं है परन्तु मसीह के उस क्षमाशील प्रेम की अभिव्यक्ति है जिसे उसने कू्रस पर प्रगट किया था।”

यह संयुक्त पत्र मेनोनाइट सेन्ट्रल कमेटी, यूएस की मेजबानी में एक्रोन, पेन्नसिलवेनिया, यूएसए में 4 जून को आयोजित एक मंत्रणा के बाद तैयार किया गया।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों के नाम (एमडब्ल्यूसी सदस्य कलीसियाओं के आगे एस्ट्रिक निशान लगा है)।

  • बीचि आमिश
  • ब्रदरन चर्च
  • ब्रदरन इन ख्राइस्ट यूएस*
  • ब्रुडरहोफ
  • चर्च ऑफ ब्रदरन
  • सीएमसी (कंज़र्वव्हेंटिव्ह मेनोनाइट काँफ्रेंस)*
  • इवाना नेटवर्क
  • एलएमसी - ए फेलोशिप ऑफ ऐनाबैपटिस्ट चर्चेज़*
  • मेनोनाइट सेन्ट्रल कमेटी, यूएसए
  • मेनोनाइट चर्च, यूएसए*
  • मेनोनाइट मिशन नेटवर्क
  • ओल्ड ऑडर आमिश
  • ओल्ड ऑडर मेनोनाइट्स


मेनोनाइट काँफ्रेंस ऑफ मेनोनाइट ब्रदरन चर्चेज़ ने अपने विश्वास के अंगीकार से जुड़े मुद्दों को लेकर अलग से एक पत्र भेजा।

शत्रुओं के प्रति प्रेम

एमडब्ल्यूसी के एक आर्थिक सहयोगी ने कुछ ही समय पहले “अमरीकी मसीहियों को वियतनाम की ओर से एक पत्र” सलंग्न किया, जो 1967 में वियतनाम में अमरीकी मिशन सेवकों के द्वारा लिखा गया था, यह वर्तमान परिस्थितियों के लिए दी गई अतीत की एक आवाज थी।

इस देश में अमरीकी सेना के हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप सामाजिक न्याय, मानव जीवन और मसीही विश्वास को हुई गम्भीर क्षतियों का हवाला देते हुए, वियतनाम के लिए चिन्तित समिति के सदस्यों ने “वियतनामी बहुल वर्ग के हितों और आवश्यकताओं पर सच्चाई से विचार करने” का आग्रह किया है; “हृदय के एक ऐसे परिवर्तन के लिए जो पिछली असफलताओं और गलतियों के परिणामों को स्वीकार करे. . .; नीतियों और युक्तियों में परिवर्तन के लिए जो उन पर यह प्रगट करे कि हमारा प्राथमिक उद्देश्य उन्हीं का कल्याण, आत्म सम्मान और स्वतंत्रता है; एक सहनशील आत्मा के लिए जो दूसरों को हमारी बात मानने के लिए बाध्य न करे . . .; हमारे इस अंगीकार का नए सिरे से प्रदर्शन के लिए कि मसीह में पूर्व और पश्चिम के लोगों के बीच में कोई भेद नहीं है और वे एक हैं।”

त्रान कुएंग थियेन फुओ कहते हैं, “मैं इस बात की सराहना करता हॅूं कि वे वियतनाम के बहुल वर्ग (जिसमें बेघर लोग, किसान, और सभी वंचितों लोग भी शामिल है) के हितों का ध्यान रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का सुझाव दे रहे हैं।” वियतनाम में एमडब्ल्यूसी सदस्य कलीसिया के इस अगुवे ने वाशिंगटन (2017-18) में एमसीसी यूएन ऑफिस में आवीइपी इन्टर्न के रूप में सेवाएं दी हैं।

वे मेनोनाइट गवाही के प्रति अभारी है जो मिशन की नीतियों और योजनाओं में भी हिंसा को दूर रखती है। वे कहते हैं, “मेनोनाइट लोगों ने, जो आ कर वियतनामी लोगों के साथ रहे . . . ऐसी मित्रता गढ़ी है जो सदा कायम बनी रहेगी। वियतनाम की वर्तमान मेनोनाइट कलीसिया उनके प्रति धन्यवादी है।”

मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेस विज्ञप्ति