अपना बपतिस्मा स्मरण रखें

त्रिपक्षीय वार्ता की रिर्पोट में एक दूसरे से मिली भेंटों और सामने खड़ी चुनौतियों को प्रस्तुत किया गया

लूथरन-मेनोनाइट-रोमन कैथोलिक त्रिपक्षीय वार्ता रिर्पोट का प्रकाशन किया जा चुका है। इस रिर्पोट में इन तीन सहभागिताओं के सामने खड़ी वर्तमान पासबानी और मिशन सम्बन्धी चुनौतियों के प्रकाश में बपतिस्मा की समझ और बपतिस्मा को व्यवहार में लाने के विषय पर तीनों के बीच पाँच वर्षों तक चली धर्मवैज्ञानिक बातचीत का सारांश प्रस्तुत किया गया है।

मेनोनाइट प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य लैरी मिलर कहते हैं, “इस रिर्पोट में यह सामने आया है कि वर्तमान में ये तीनों कलीसियाएं इस बात से सहमत हैं कि बपतिस्मा शिष्यता के अन्तर्गत आता है। यह इन तीनों कलीसियाओं के सामने एक प्रश्न रखता हैः क्या ऐसे उपाय हैं कि हम बपतिस्मा को व्यवहार में लाने के एक दूसरे के भिन्न भिन्न तरीकों को इस रीति से स्वीकार कर सकें कि हम उस एकता की ओर बढ़ सकें जिसके लिए यीशु ने प्रार्थना किया था?”

कैथोलिक चर्च (पोन्टिफिकल काँसिल फॉर प्रमोटिंग क्रिश्चन यूनिटी), लूथरन वर्ल्ड फेडरेशन (एलडब्ल्यूएफ), और मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस (एमडब्ल्यूसी) के प्रतिनिधि 2012 से 2017 तक बपतिस्मा की समझ और इसे व्यवहार में लाने के विषय पर चर्चा करने के लिए मिले।

बपतिस्मा और मसीह की देह, कलीसिया में शामिल किया जाना$ शीर्षक की इस रिर्पोट में तीन बुनियादी विषयों पर पाँच वर्षों तक चली चर्चा का सारांश दिया गया हैः

  1. पाप व अनुग्रह के साथ बपतिस्मा का क्या सम्बन्ध है?
  2. मसीही समुदाय के सन्दर्भ में बपतिस्मा तथा अनुग्रह व विश्वास के संचार का आनन्द उठाना,
  3. मसीही शिष्यता के जीवन में बपतिस्मा को व्यवहार में लागू करना।

“हम उस भरोसे, धीरज, और ग्रहणशीलता के लिए धन्यवाद देते हैं जो हमें हमारे कैथोलिक और लूथरन साझेदारों से प्राप्त हुआ, इस वार्तालाप के द्वारा हमारे सामने रखी गई इस चुनौती को स्वीकार करते हैं कि हम इस बात को अधिक स्पष्ट रीति से देख सकें कि कलीसिया की एकता के लिए कार्य करने से सुसमाचार के प्रति हमारी विश्वासयोग्यता बढ़ती जाती है।” यह रिर्पोट के मेनोनाइट चिन्तन खण्ड में कहा गया है।

एमडब्ल्यूसी के सचिव सीजर गार्सिया कहते हैं, “इन चर्चाओं का आयोजन हमारी सहभागिताओं के बीच बेहतर आपसी समझ को बढ़ावा देने और यीशु मसीह के प्रति अधिक विश्वासयोग्यता की ओर बढ़ने के लिए किया गया है। हम यह विश्वास करते हैं कि इस रिर्पोट से हमें सहायता मिलेगी कि हम उस सामंजस्य को समझ सकें जो लूथरन, कैथोलिक, और मेनोनाइट कलीसियाओं के बीच पाई जाने वाली भिन्नताओं के बावजूद विद्यमान है - और बपतिस्मा के प्रति अपनी अपनी धारणा और परम्परा की बेहतर समझ प्राप्त कर सकें।”

इस रिर्पोट से पहले लूथरन-मेनोनाइट द्विपक्षीय वार्ता की रिर्पोट चंगाई देने वाली स्मृतियाँ (mwc-cmm.org/node/3220) शीर्षक से प्रकाशित की गईं जिसके परिणामस्वरूप 2010 में एक मेलमिलाप की आराधना हो सकी और मेनोनाइट-रोमन कैथोलिक द्विपक्षीय वार्ता हो सकी जिसका परिणाम मेलकराने वालों के रूप में बुलाए गए (mwc-cmm.org/node/3218) के रूप में सामने आया।

जॉन डी. रेम्पल, एमडब्ल्यूसी प्रतिनिधिमण्डल के एक सदस्य ने कहा, “यह एक ऐसा अभ्यास था जिसके द्वारा हम अपने स्वयं के विश्वास को गहराई दे सकते हैं, और साथ ही साथ, अन्य विचारधाराओं के अपने मसीही भाई बहनों के विश्वास का भी सम्मान कर सकते हैं।”

लैरी मिलर ने इस वार्तालाप के माध्यम से यह सीखा कि “मैं अपने बपतिस्मा को स्मरण रखूं! यद्यपि कैथोलिक और लूथरन अक्सर नवजात शिशुओं को बपतिस्मा देते हैं, परन्तु दोनों ही कलीसियाएं विश्वासियों का आव्हान करती हैं - अक्सर प्रत्येक वर्ष - कि ‘अपने बपतिस्मा को स्मरण रखे’ और इसके द्वारा शिष्यता का जीवन बिताए। . . . क्या यह उन भेंटो का एक नमूना हो सकता है जो इन कलीसियाओं की ओर से हमें प्राप्त हो सकता है?”

फेथ एण्ड लाइफ कमीशन के जॉन डी. रोथ कहते हैं, “यह रिर्पोट अलमारी में रख कर बन्द करने के लिए नहीं है।” फेथ एण्ड लाइफ कमीशन के द्वारा कलीसियाओं के लिए साधन तैयार किए जाएंगे कि वे इन वार्तालापों से एमडब्ल्यूसी को “प्राप्त भेंटों” और “स्वीकार की गई चुनौतियों” का अध्ययन कर सकें।

 

रिर्पोट को पढ़ने और डाऊनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Click here to download and read the report.

भाग लेने वाले प्रतिनिधि

रोमन कैथोलिक

  • सिस्टर प्रोफेसर डॉ. मारिया-हेलन राबर्ट, एनडीए (फ्राँस);
  • आर्चबिशप लुइस अगस्तो कास्त्रो क्वेइरोगा, आईएमसी (सह-सभापति, कोलम्बिया);
  • रेव्ह. प्रोफेसर विलियम हेन्न, ओएफएम कैप (यूएसए/इटली);
  • रेव्ह. प्रोफेसर लुइस मेलो, एसएम (कनाडा);
  • रेव्ह. अवेलिनो गोंजालेज (सह-सचिव, यूएसए/वेटिकन)।

लूथरन

  • रेव्ह. डॉ. कैइसामरि हिनटिक्का (सह-सचिव, फिनलैण्ड/स्विट्जरलैण्ड);
  • प्रोफेसर डॉ. फ्रेड्रिक नुसेल (सह-सभापति, जर्मनी);
  • बिशप एमेरिटस डॉ. मुसावेनकोसि बियेला (दक्षिण अफ्रीका);
  • प्रोफेसर. डॉ. थियोडोर डियटेर (फ्राँस) रेव्ह. प्रोफेसर पीटर ली (हाँगकाँग, चीन)
  • रेव्ह. राज भारत पट्टा (भारत/यूके)

मेनोनाइट>

  • रेव्ह. रबेका ओडोन्गा ओसिरो (मेनोनाइट);
  • प्रोफेसर डॉ. अलफ्रेड न्यूफेल्ड (सह-सभापति, पैरागए);
  • प्रोफेसर डॉ. फरनाँडो एन्स (जर्मनी/नीदरलैण्ड्स);
  • प्रोफेसर डॉ. जॉन रेम्पल (कनाडा);
  • रेव्ह. डॉ. लैरी मिलर (सह-सचिव, फ्राँस);
  • प्रोफेसर डॉ.अलफ्रेड न्यूफेल्ड (सह-सभा पैरागुए)

—मेनोनाइट वर्ल्ड काँफे्रस विज्ञप्ति, लूथरन वर्ल्ड फेडरेशन से दस्तावेज प्राप्त।

Read more

Reconciling the radical reformation: report on Bearing Fruit

Called together to be peacemakers

Dialogues on baptism close with learning and prayer

Incorporation into the body of Christ

You may also be interested in:

Catholic, Lutheran, Mennonite, Trilateral Dialogue Commission on Baptism

The Commission developed the general topic of the dialogue “Baptism and Incorporation into the Body of Christ, the Church” through papers on “Baptism: Communicating Grace and Faith.” Professors John Rempel and Fernando Enns (Mennonite), Rev Prof. William Henn (Catholic), and Bishop Emeritus Dr Musawenkosi Biyela (Lutheran) made major presentations.आगे पढ़ें

Mennonites, Catholics and Lutherans hold second round of dialogue on baptism

“I continue to be inspired by the mutuality of our work,” commented John Rempel of Toronto, Ontario, one of the Mennonite participants in the 26-31 January 2014 second meeting of the Trilateral (Catholic, Lutheran, Mennonite) Dialogue Commission on Baptism.आगे पढ़ें

trilateral dialogue

Baptism the focus of trilateral dialogue by Mennonites, Catholics and Lutherans

An international trilateral dialogue between Mennonites, Catholics and Lutherans began in Rome, 9-13 December 2012.आगे पढ़ें